Sunday, August 21, 2011

भारत में फिर से आजा, गैयां चराने वाले..

पर्व : जन्माष्टमी - 22 अगस्त 2011
भगवान श्रीकृष्ण विष्णुजी के आठवें अवतार माने जाते हैं। यह श्रीविष्णु का सोलह कलाओं से पूर्ण भव्यतम अवतार है। श्रीराम तो राजा दशरथ के यहाँ एक राजकुमार के रूप में अवतरित हुए थे, जबकि श्रीकृष्ण का प्राकट्य आततायी कंस के कारागार में हुआ था। श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में देवकी व श्रीवसुदेव के पुत्र रूप में हुआ था। कंस ने अपनी मृत्यु के भय से बहिन देवकी और वसुदेव को कारागार में क़ैद किया हुआ था।
कृष्ण जन्म के समय घनघोर वर्षा हो रही थी। चारों तरफ़ घना अंधकार छाया हुआ था। श्रीकृष्ण का अवतरण होते ही वसुदेव-देवकी की बेडिय़ाँ खुल गईं, कारागार के द्वार स्वयं ही खुल गए, पहरेदार गहरी निद्रा में सो गए। वसुदेव किसी तरह श्रीकृष्ण को उफनती यमुना के पार गोकुल में अपने मित्र नन्दगोप के घर ले गए। वहाँ पर नन्द की पत्नी यशोदा को भी एक कन्या उत्पन्न हुई थी। वसुदेव श्रीकृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर उस कन्या को ले गए। कंस ने उस कन्या को पटककर मार डालना चाहा। किन्तु वह इस कार्य में असफल ही रहा। श्रीकृष्ण का लालन-पालन यशोदा व नन्द ने किया। बाल्यकाल में ही श्रीकृष्ण ने अपने मामा के द्वारा भेजे गए अनेक राक्षसों को मार डाला और उसके सभी कुप्रयासों को विफल कर दिया। अन्त में श्रीकृष्ण ने आतातायी कंस को ही मार दिया। श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का नाम ही जन्माष्टमी है।

आज एक बार फिर समूचे विश्व में चारों ओर ‘कंस’ पैदा हो गए है। जिससे मानवता त्रस्त है। ऐसे समय में जरूरत है कि एक बार फिर से कृष्ण-कन्हैया इस धरती पर आकर अपनी बांसुरी की तान सुनाए।

आईए हम सब उस कृष्ण-कन्हैया के जन्मोत्सव को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाकर उनसे मानवता को बचाने के लिए हृदय से प्रार्थना करें।


विरासत:दी हेरिटेज के बैनर तले गत वर्षों में आयोजित विभिन्न संगीत समारोहों में प्रस्तुत किए गए श्रीकृष्ण को समर्पित रचनाएं आप के लिए भी प्रस्तुत है:

1. भारत में फिर से आजा, गैयां चराने वाले....
कलाकार: श्रीगणपत दमामी

2. कान्हां रे तूँ राधा बन जा, भूल पुरूष का मान.....
कलाकार: श्रीगणपत दमामी

3. ब्रज में कन्हैया तूं है, अयोध्या में राम है.....
कलाकार: डॉ. रामगोपाल त्रिपाठी

1 comment:

  1. jai hooooooooooo




    JAI SHREE KRISHNA

    JAI HO GAYA CHARANE WALE KI

    JAI HO BANSI WALE KI

    JAI HO GIRIRAJ DHARAN KI

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